This bhajan was written by Bindoo Goswami, a prominent personality in Vrindavan.
जो श्याम पर फ़िदा हो, उस तन को ढूँढ़ते हैं
घर श्याम का हो जिसमें, वोह मन ढूंढते हैं
बंधता है जिस में, वोह ब्रह्म मुक्त बंधन
उस प्रेम के अनूठे बंधन को ढूंढते है
जो श्याम...
जो बीत जाए प्रीतम की याद में विरह में
जीवन भी देके ऐसे, जीवन को ढूंढते है
जो श्याम...
आहों की जो घटा हो, दामनी हो दर्द-इ-दिल की
दृग बिंदु वर से बरसे, उस घन को ढूंढते है
जो श्याम पर....
जो श्याम पर फ़िदा हो, उस तन को ढूँढ़ते हैं
घर श्याम का हो जिसमें, वोह मन ढूंढते हैं
बंधता है जिस में, वोह ब्रह्म मुक्त बंधन
उस प्रेम के अनूठे बंधन को ढूंढते है
जो श्याम...
जो बीत जाए प्रीतम की याद में विरह में
जीवन भी देके ऐसे, जीवन को ढूंढते है
जो श्याम...
आहों की जो घटा हो, दामनी हो दर्द-इ-दिल की
दृग बिंदु वर से बरसे, उस घन को ढूंढते है
जो श्याम पर....
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