Tuesday, September 6, 2011

Gopal Sawariyan mere

तेरी  प्रीत  ने  हमको  क्या  न  दिखाया,
बदनाम  कर  के  जगत  में  हंसाया ,
 खिची आई  बेखुद  न सोचा  समझा 
लबों  से  लगा  बांसुरी  जब  बुलाया 
अदाओं  भरी  टेढ़ी  चितवन  जो  देखी 
 दिल-ओ-जान  लुटा  जब ज़रा  मुस्कुराया 
सुना  भोली  भली  वो  प्रीती  की  बातें 
  कहा  चल  दिए  जाने  क्या दिल मई  आया 
    तेरी खोज  में जिस्म -ओ-जान राह  भूली 
     पत्ता  पत्ता में ढूंडा  पता  कुछ  न पाया 
   सब  रिश्ते  दिल-ओ-जान तेरे  हाथ  बेचे 
     बहुत  कुछ गवाया  न कुछ हाथ आया
  मजा  खूब  ये  श्याम वह  तेरी उल्फत 
  न घर  का रखा और  न अपना  बनाया 

गोपाल सावरियां मेरे... नन्दलाल सावरिया मेरे

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