Wednesday, January 26, 2011

Door nagari: sung by Shri Mridul Krishna Shastriji written by Meerabai

यह मीरा बाई का लिखा हुआ भजन है. 

दूर नगरी बड़ी दूर नगरी
कैसे आऊं मैं कन्हाई, तोरी गोकुल नगरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी

रात को आऊं कान्हा डर मोहि लागे
दिन को आऊं तो देखे सारी नगरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी

सखी संग आऊं कान्हा शर्म मोहे लागे
अकेली आऊं तो भूल जाऊ  डगरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी

 धीरे धीरे चलूँ  तो कमर मोरी लचके
 झटपट चलूँ तो छलकाए गगरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी

मीरा काहे प्रभु गिरिधर नागर
तुमरे दरस बिन मैं तो हो गयी बावरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी

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