That I remember from Ram Charit मानस. अगर कुछ गलती हो, मुझे बताये और मैं ठीक कर दूंगा.
हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहत सुनत बहु बिधि सब संता
जा की रही भावना जैसे, प्रभु मूरत तिन देखि तैसी
जेहि के जेहि सत्य सनेहू, हरि मिलिहे ना कुछ संदेहू
मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ अजर बिहारी
सीता राम चरित अति पावन, सरस मधुर अरु अति मन भावन
हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहत सुनत बहु बिधि सब संता
जा की रही भावना जैसे, प्रभु मूरत तिन देखि तैसी
जेहि के जेहि सत्य सनेहू, हरि मिलिहे ना कुछ संदेहू
मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ अजर बिहारी
सीता राम चरित अति पावन, सरस मधुर अरु अति मन भावन
जेहि के जेहि पर सत्य स्नेहू सो तेहि मिल्हो न कछु संदेहू ।
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