Thursday, November 18, 2010

Bindu Goswami in his unique style

Binduji has this unique way of writing in a conversational style with Shri Krishna. One such dialogue, also sung by Shri Vinodji.
कन्हैय्या को एक रोज रो कर पुकारा,
कहा उनसे जैसा हूँ अब हूँ तुम्हारा

वोह बोले की किया क्या दुनिए में आकर
मैं बोला की अब भेजना मत दोबारा

वोह बोले की साधन किये तुने क्या क्या
मैं बोला किसे तुमने साधन से तारा

वो बोले परेशान हूँ तेरी बहस से
मैं बोला की कह दो तू जीता मैं हारा

वोह बोले जरिया तेरा क्या है मुझ तक
मैं बोला की दृग बिंदु का है सहारा...
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some dohas

That I remember from Ram Charit मानस. अगर कुछ गलती हो, मुझे बताये और मैं ठीक कर दूंगा.

हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहत सुनत बहु बिधि सब संता

जा की रही भावना जैसे, प्रभु मूरत तिन देखि तैसी

जेहि के जेहि सत्य सनेहू, हरि मिलिहे ना कुछ संदेहू

मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ अजर बिहारी

सीता राम चरित अति पावन, सरस मधुर अरु अति मन भावन