Binduji has this unique way of writing in a conversational style with Shri Krishna. One such dialogue, also sung by Shri Vinodji.
कन्हैय्या को एक रोज रो कर पुकारा,
कहा उनसे जैसा हूँ अब हूँ तुम्हारा
वोह बोले की किया क्या दुनिए में आकर
मैं बोला की अब भेजना मत दोबारा
वोह बोले की साधन किये तुने क्या क्या
मैं बोला किसे तुमने साधन से तारा
वो बोले परेशान हूँ तेरी बहस से
मैं बोला की कह दो तू जीता मैं हारा
वोह बोले जरिया तेरा क्या है मुझ तक
मैं बोला की दृग बिंदु का है सहारा...
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कन्हैय्या को एक रोज रो कर पुकारा,
कहा उनसे जैसा हूँ अब हूँ तुम्हारा
वोह बोले की किया क्या दुनिए में आकर
मैं बोला की अब भेजना मत दोबारा
वोह बोले की साधन किये तुने क्या क्या
मैं बोला किसे तुमने साधन से तारा
वो बोले परेशान हूँ तेरी बहस से
मैं बोला की कह दो तू जीता मैं हारा
वोह बोले जरिया तेरा क्या है मुझ तक
मैं बोला की दृग बिंदु का है सहारा...
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