Monday, October 18, 2010

Soi rasna jo by Surdas

This bhajan was written by Surdas. It explains the purpose of the various parts of the body. I shall attempt to put some explanations...

सोई रसना जो हरी गुण गावे
(रसना = जीभ - जीभ का काम है हरी गुण गाना...)
नैनं की छवि यही चतुरता जो मुकुंद मकरंद ही ध्यावे
(नैनो का काम है की वोह हर समय हरि की छवि को देखती रहे)

निर्मल चित्त तो सोई साँचो, कृष्ण बिना जिहिं और ना भावें
स्रवनन  की जू यह अधिकाई सुनी हरि कथा सुधा रस पावे
सोई रसना जो...
(निर्मल चित्त वही है जिसको कृष्ण ही अच्छे लगे, और कान कृष्ण नाम कर अमृत (सुधा) प्राप्त करते रहे)

कर ते ईसे स्याम ही सेवे, चरनन नि चरी वृन्दावन जावे
सूरदास जे बलि बंकि जो हरि जू सो प्रीती बढ़ावे
सोई रसना जो...
(कर मतलब हाथ, का काम है की वोह श्याम की सेवा में रत रहे, और चरणों का काम की वह हमेशा वृन्दावन की ओर चलते रहे)